Everything about सोयाबीन के तेल के फायदे



सोयाबीन ऑयल वनस्पति तेल है यानी वेजिटेबल ऑयल है, जिसे सोयाबीन के बीजों से निकाला जाता है। संयमित मात्रा में इसका इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है, लेकिन इसका अधिक उपयोग शरीर को कई तरह के नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसी वजह से लेख में आगे हम सोयाबीन तेल के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बता रहे हैं।

मलाइका अपना दिन ढ़ेर सारे लिक्विड से करती हैं शुरू, सादे पानी से लेकर पीती हैं ये ड्रिंक्स 

(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए)

घर में आप कई तरह के तेल का उपयोग करते होंगे। कुछ तेल खाना बनाने के लिए, तो कुछ तेल बालों में लगाने के लिए। कभी-कभी लोग तेल को शरीर व चेहरे पर भी लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न प्रकार के तेल का इस्तेमाल करते हुए कभी-न-कभी आपने सोयाबीन ऑयल का भी उपयोग किया ही होगा। आज हम इस लेख में इसी तेल के बारे में बता रहे हैं।

क्या सोयाबीन का तेल आपके लीवर के लिए बुरा है?

सोयाबीन तेल को अन्य वनस्पति तेलों की तुलना में स्वस्थ माना जाता है। क्योंकि इसमें आवश्यक फैटी एसिड का अच्छा प्रकार पाया जाता है। जो शरीर के लिए स्वस्थ माना जाता है। सोयाबीन के तेल में कई प्लांट स्टेरोल भी होते हैं। यह तेल विटामिन और खनिज से भरपूर होता है। 

थक्का रोधी, ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, कैंसर रोधी

एक अध्ययन में पाया गया है कि सोयाबीन का उपयोग कोलन व कोलोरेक्टल जैसे कैंसर होने के रिस्क को भी कम करता है। क्योंकि सोयाबीन को आइसोफ्लेवोन्स और फाइटोकेमिकल्स के समूह का भी मुख्य स्रोत माना जाता है। इन दोनों तत्वों में एंटी कैंसर के गुण पाए जाते हैं। इसलिए सोयाबीन के नियमित सेवन से स्तन और गर्भाशय से संबंधित कैंसर से बचने में मदद मिलती है।

क्या सोयाबीन का तेल जैतून के तेल से बेहतर है?

इसका सेवन करने से महिलाओं को हार्मोन संबंधी कई समस्याएं हो सकती है क्योंकि इसमें मौजूद कंपाउंड फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन more info की कॉपी करता है।

न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि हम सभी कुकिंग ऑयल का अलग-अलग तरह से और अलग-अलग तापमान पर खाना पकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप पहले यह पहचान लें कि आप किस प्रकार का खाना बना रहे हैं और फिर तेल चुनें.

सोयाबीन शरीर के विकास में मदद करता है। यह त्वचा, मांसपेशियां, नाखून, बाल के विकास में मदद करता है। इसके अतिरिक्त यह फेफड़ों, हृदय, शरीर के आंतरिक भागो की रचना में भी मदद करता है।

तेल सहित सोया के सारे प्रोडक्ट को शामिल करने पर आयोडीन की कमी वाले व्यक्तियों में थायराइड की कार्यशीलता में रूकावट देखी गयी है। जब हाइपोथायरायडिज्म के रोगी सोया उत्पादों का सेवन करते हैं, तो सोया में मौजूद आइसोफ्लेवोंस सिंथेटिक थायराइड का अवशोषण करते है। जो उपचार के समय नकारात्मक प्रतिक्रिया दर्शाता है। जिसकी वजह से कभी कभी अनावश्यक रूप से दवा की खुराक बढ़ाना पड़ता है ।

महिला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *